www.sursaanjh.com > ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ > बेगम इक़बाल बानो फाउंडेशन के “लिखत पोएटिका” कवि सम्मेलन का नौवां संस्करण

बेगम इक़बाल बानो फाउंडेशन के “लिखत पोएटिका” कवि सम्मेलन का नौवां संस्करण

बेगम इक़बाल बानो फाउंडेशन के “लिखत पोएटिका” कवि सम्मेलन का नौवां संस्करण
Chandigarh (sursaanjh.com bureau), 24 December:
बेगम इक़बाल बानो फाउंडेशन के “लिखत पोएटिका” कवि सम्मेलन का नौवां संस्करण, सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी के सहयोग से उनकी सभागार में 23 दिसंबर को आयोजित किया गया। बॉलीवुड में चर्चित गीतकार इरशाद कामिल की मां की याद में गठित इस फाउंडेशन के डायरेक्टर विजय कपूर ने बताया कि इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य युवाओं को अपनी संस्कृति और कला से जोड़ना है। इस कार्यक्रम में 15 जाने-माने युवा और स्थापित रचनाकारों ने भाग लिया और हिंदी, अंग्रेज़ी, पंजाबी, हरियाणवी, मुल्तानी और उर्दू भाषाओं में अपनी रचनाएं पेश कीं। लिखत पोएटिका 9 का संचालन कवियित्री, उद्घोषिका और रंगकर्मी बबिता कपूर ने किया।
अज़हर नदीम ने “हर कदम पर दिल दुखाता है वही/ दोस्त बनकर खूं रुलाता है वही”, संगीता मधुबन ने “तुम चल दिए परदेस साजन मन की ना पूछो”, बबिता सागर ने” मैं शायर नहीं थी बना दिया गया है/ गुनाह कुछ भी नहीं था इल्ज़ाम लगा दिया गया है”, सुरेंद्र पाल ने “कुछ ही बरगद हो पाते हैं” और “हे अन्नदाता”, रजत जोशी ने “तेरी आंखों के डुबाए हुए लोग/ क्या करें तेरे सताए हुए लोग” और पंजाबी में “अखां विच उसदी तस्वीर कैद कर लइ ए/इंज लगदा ए मैं तकदीर कैद कर लई ए”, एडवोकेट नीलम नारंग ने “ए ज़िंदगी बता तुझे क्या कहूं” मुक्तक और इसके अलावा पंजाबी और मुल्तानी भाषा में भी रचनाएं सुनाईं।
परमिंदर सोनी ने “खोए हुए अपनों को परछाइयों में ढूंढने लगता हूं/आइना सामने रख खुद को ही तलाशता हूं”, मुग्धा ने प्रेम पर लिखी कविताओं का बहुत सुंदर पाठ किया जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। आर के सौंध ने “बेहतर है इससे पहले कि यह साल भी गुम हो जाऐ तारीख में/ चंद लम्हे मुबारक के मिल जायें तो बेहतर है”, प्रभजोत कौर जोत ने पंजाबी रचनाएं सुनाई जिनमें से एक रचना कुछ इस तरह से थी “मेरा इश्क पाक सी ते हमेशा रहेगा”, राजिंदर कौर सराओ ने “दस्तक हो दरवाजे पर और आप आएं ,कभी ऐसा भी हो/झंकार जो देखें, चिलमन से और आप मुसकुराओ कभी ऐसा भी हो”, ध्यान सिंह कहलों ने पंजाबी रचना “सजना नाल जो करदे ठगियां हुंदे बड़े कसाई” और महेंद्र कुमार सानी ने अपनी बेहद उम्दा शायरी से खूब समां बांधा।
कार्यक्रम की अध्यक्षा वरिष्ठ साहित्यकार परमजीत परम ने अपने वक्तव्य में कहा “कला पक्ष और कथ्य की स्वभाविकता के ताल मेल की रचनाओं ने सामयिक उथल पुथल को खूब निभाया और बेगम इकबाल बानो फाउंडेशन युवा पीढ़ी को मंच प्रदान करने का सराहनीय काम कर रही है” और पंजाबी में उनकी रचनाओं ने ज़िंदगी की सीख और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान किए। परमजीत परम ने अपनी कविता के ज़रिए कहा “आई खिजा जे दोस्ता हुंदा उदास क्यूं हैं?” कार्यक्रम के विशेष अतिथि जाने-माने साहित्यकार और कवि डॉक्टर अश्विनी कुमार शांडिल्य ने कहा “प्रेम के शीत और ताप से सनी पगी रचनाओं द्वारा युवाओं ने संवेदनाओं की अनुभूति को सुंदरता से बयान किया।” डॉक्टर अश्विनी शांडिल्य ने अपनी कविता “धरती से आसमां तक उठाती हैं रोटियाँ/ दर-दर की ठोकरें भी खिलाती हैं रोटियाँ” के ज़रिए जीवन की आपाधापी से झूंझते मानव जीवन का चित्रण किया। लाइब्रेरियन डॉक्टर नीज़ा सिंह खास तौर पर शामिल हुईं।
कार्यक्रम के दौरान अनेक साहित्यकार उपस्थित जिनमें वीणा सेठी, रेखा मित्तल, राजेश आत्रेय, रेखा वर्मा, अश्विनी कुमार भीम, राजनीत कौर, मंजू खोसला, दीपक यादव, सौरभ शर्मा, तिलक सेठी, डॉक्टर अवतार पतंग, डॉक्टर त्रिपत मेहता, सुरजीत सुमन, जगदीप सिद्धू, शीनू वालिया, सत्यवती आचार्य, पिंकी, आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *