नेता जी/ सत्यवती आचार्य
ओड़िशा के कटक नगर में,
जन्म लिया एक बालक ने l
माता जिनकी प्रभावती थीं,
पिता जानकी नाथ थे l
भव्य इमारत उसका घर था,
चौदह बच्चों का कुनबा l
अच्छी विद्या, ऊँची शिक्षा,
धन व धान्य से था वह भरा l
भारत की आज़ादी में वह,
बालक बना महानायक l
हृदयों का सम्राट बना वह,
‘नेता’ कहते प्रेम से सब l
“जय हिंद” का सुलझा नारा,
दिया देश को उसने ही।
गौरव से भर दिया सभी को
भरा हृदय में प्रेम तब ही l
गठन किया था एक फौज का
नाम रखा ‘आज़ाद हिन्द’
गर्व से भरा जन-जन
घर-घर कहता हर्ष से “जयहिंद”!
देश-भक्ति से ओत-प्रोत वे
भरते सबके दिलों में जोश,
निडर और निर्भीक रहे
करते दुश्मन को फिर ख़ामोशl
‘तुम मुझको दो ख़ून,
तुम्हें आज़ादी दूँगा’ कहते थे l
ग़लती है अन्याय को सहना
ये सन्देश वे देते थे l
सभी दिलों पर राज किया है
पहले भी और आज भी l
जब तक नभ और धरा रहेगी
रहेगा “नेता” नाम भी l
सत्यवती आचार्य, चंडीगढ़