Chandigarh (sursaanjh.com bureau), 12 July:
अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था चंडीगढ़ ने लेखक राजिंदर कौर सराओ के नवीन काव्य संग्रह “वर्जित राहां दा सफर” के विमोचन का आयोजन चंडीगढ़ पुलिस ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट में किया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार और रंगकर्मी विजय कपूर ने किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं सुश्री अनंदिता मित्रा आईएएस, सेक्रेटरी हायर एजुकेशन और लैंगुएज, पंजाब। गेस्ट ऑफ हॉनर थीं चंडीगढ़ की एस एस पी, सुश्री कंवरदीप कौर आईपीएस।
इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर डॉ. मनमोहन सिंह (रिटायर्ड आईपीएस) चेयरमैन चंडीगढ़ साहित्य अकादमी भी हाज़िर रहे। सात भागों में विभाजित 66 पंजाबी की संजीदा कविताओं की पुस्तक है “वर्जित राहां दा सफ़र।” इस अवसर पर समीक्षकों और दूसरे विद्वानों ने पुस्तक की रचनाओं पर अपनी अमूल्य टिप्पणिया करके लेखक के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास किया। सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक पंजाबी पुस्तक का विमोचन समुदाय को एक साथ लाने का काम करता है। यह कला और साहित्य के प्रति साझा प्रेम को बढ़ावा देता है। लोगों को अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करने का अवसर प्रदान करता है।


समीक्षक बलकार सिद्धू का कहना था “आज का यह विमोचन, आशा, प्रगति और सांस्कृतिक निरंतरता का प्रतीक है। राजिंदर जी की हर कविता में एक कहानी है।” अन्नू रानी शर्मा ने कहा “राजिंदर कौर जी की कविताएं यह साबित करती हैं कि हमारी मां बोली से जुड़ा हमारा साहित्य कितना शक्तिशाली है।” डॉ सुनीत के मुताबिक “ऐसे काव्य संग्रहों से हमारी साहित्यिक विरासत फलती-फूलती रहती है। आने वाले साहित्यकाओं को प्रेरणा मिलती है।” राजिंदर कौर सराओ जी ने अपनी बात रखते हुए कहा “मैने सामाजिक ताने बाने के अंदर वो सब करने की हिम्मत की जो एक समय लड़कियों के लिए वर्जित था। बचपन से प्रस्फुटित साहित्यिक रुचि ने मुझे जीने का रास्ता दिखाया। और आज मैं अपनी इन रचनाओं के माध्यम से अपने अनुभवों को पाठकों के सामने लेकर आई हूं।”
गेस्ट ऑफ हॉनर, सुश्री कंवरदीप कौर ने अपने वक्तव्य में कहा ” लेखक ने अपनी कविताओं के ज़रिए, बड़ी संवेदनशीलता से महत्वपूर्ण सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर चिंतन किया है।” मुख्य अतिथि सुश्री अनंदिता मित्रा ने अपने विचार सांझा करते हुए कहा “राजिंदर जी कविताओं की विषय-वस्तु की गहराई, भावनात्मक प्रभाव, भाषा-शैली की परिपक्वता और दृष्टिकोण की मौलिकता, उनके इस काव्य संग्रह को सफल बनाते हैं।” चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा “इस संग्रह में अस्तित्व से जुड़े गंभीर विषयों पर चिंतन है।” साहित्यकार और रंगकर्मी विजय कपूर ने अपनी टिप्पणी में कहा “राजिंदर जी की रचनाएं दार्शनिक चिंतन और मानवीय नियति के प्रश्नों से ओत प्रोत हैं” कार्यक्रम के दूसरे चरण में जाने माने साहित्यकारों ने अपनी काव्य रचनाओं से मंत्र मुग्ध किया।
राजिंदर कौर सराओ ने “जो राह इस समाज ने मेरे लई तै किते सन, वेख, ऊना ही राहां ते चल के मैं उड़ना सिख लेया।” विजय कपूर ने
“तुम्हारी ठंडक की जलन बहुत थी उन सबको, कि मैं अपने उरूज़ पे थामें रखता था तुमको” अलका कांसरा ने “दहकते हैं हर गर्मी में पहाड़ चटकते हैं चीड़ और देवदार आग की लपटें और धुएं के अंबार।” डॉ रोमिका वडेरा ने “प्यार बरसाते हुए जिए जाओ जिए जाओ यूं ही मुस्कुराते हुए।” डॉ अशोक वडेरा ने “अरे सुन तो मत घबरा चल आ इक खेल नया खेलें” करीना मदान ने “मेरे सुपनया दा विकसित पंजाब, पंज मशाला विकास दियाँ।” अन्नू रानी शर्मा ने “व्यर्थ हैं अब शब्द सारे भाव के सब स्वाद खारे धुन सभी बे–ताल होकर भेदती हैं कर्ण–द्वारे।” शहला जावेद ने “लफ्ज़ मेरे आगे पीछे घूमते हैं उठते ही सुबह दौड़ के गले लगाते हैं किचन तक साथ जाते हैं और नाश्ते के स्वाद में मिल जाते हैं।”डॉ निर्मल सूद ने “माए नी मेरा जी करदा यादां नूँ धूप लगावाँ यादाँ दा खोल के बक्सा कड़ धूपें रख आवां।”नवनीत बक्शी ने “वो अलसाई सी चाँदनी, वो ठंडा बिस्तर दीवार फांद कर आए थे तुम।”
रेखा मित्तल ने “मेरे बाबला नित चेते आंदियां तेरियां गलां तेरा सिर ते हथ रख के कहना कुड़ी एनी छेती क्यों वड़ी हुई जांदी है।”खुशनूर कौर ने “ओह मैनू आज़ाद करण दी गल करदा है हाँ उस दे पिंजरे दा आकार होर बड्डा हो गिया।” अश्वनी मल्होत्रा ‘भीम’ न “देखो टीवी तो पछताना है न देखो तो भी पछताना है मशहूरियों का ये जमाना है।”सुनीत मदान ने “बेदम विचार तरंगों से एक कैनवास पर उतरी अनकही, अविरल विरह” जैसी सुंदर , सार्थक और सारगर्भित रचनाएं सुनाई। इनके अलावा जंग बहादुर गोयल, डॉ विमल कालिया और आर के सौंध, हरमन रेखी, डॉ रजत सोनी, भूपिंदर मलिक, दीपक छात्रांचल और पाल अजनबी ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। परनीत कौर ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

