Chandigarh (sursaanjh.com bureau), 29 September:
विश्व विख्यात बांसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू ने किया कवितावली के अक्टूबर अंक का अनावरण
हिंदी भाषा व साहित्य को समृद्ध करने वाली अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक पत्रिका कवितावली के अक्तूबर अंक का विमोचन विश्व विख्यात बांसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। उनके साथ विशिष्ठ अतिथि के रूप में इंदौर के तेजिंदर पाल सिंह सलूजा उपस्थित रहे।
विमोचन के इस अवसर पर ग्रेट ब्रिटेन से मुख्य संपादक श्री सुरेश पुष्पाकर, संयुक्त संपादक कवयित्री संतोष गर्ग, प्रो. अलका कांसरा, जापान से देश प्रमुख सुदेश मोदगिल नूर, सलाहकार समिति से ईनू शर्मा, डॉ. सुभाष भास्कर, गणेश दत्त बजाज, निर्लेप होरा व कैनेडा से प्रसिद्ध गायिका मीता खन्ना, यू एस से वीणा विज भी ऑनलाइन विशेष कर जुड़े रहे।
मुख्य अतिथि बलजिंदर सिंह बल्लू ने कहा कि मुझे गिटार बजाने का बहुत शौक था परंतु गिटार बहुत महंगी थी। पैसे की कमी के कारण मैंने बांसुरी बजाना शुरू किया। उन्होंने अपने प्रिय गीत तेरे मेरे होठों पर मीठे- मीठे गीत मितवा, पंख होते तो उड़ आती रे, हे नीले गगन के तले गीत, बांसुरी की मधुर धुन पर सुनाए।
श्रोता के रूप में पत्रिका में प्रकाशित साहित्यकार मोहाली, पंचकूला, चंडीगढ़ से, श्री एस. एल. धवन, सोमेश गुप्त, डॉ. निर्मल सूद, निधि मलिक, परमिंदर सोनी, रेखा मित्तल, आभा मुकेश साहनी, राजेश भाटिया, नेहा शर्मा, राजन सुदामा, महाराष्ट्र से मंजू अशोक राजाभोज, कपूरथला से डॉ. प्रोमिला अरोड़ा, पलवल से नीलम सिंघल, दिल्ली से डॉ. पवन कुमार जैन, ऊना से सुभाष पारस, अमृतसर से रमेश कुमार संतोष, जालंधर से प्रो. सरला भारद्वाज ने बल्लू के सूफियाना बांसुरी वादन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
विशिष्ट अतिथि तेजिंद्र पाल सिंह सलूजा ने अपने संदेश में कहा कि कवितावली पत्रिका हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य को विश्व स्तर पर पहुंचा रही है, यह एक बहुत बड़ी साहित्य सेवा है।
फगवाड़ा से डॉक्टर जवाहर धीर ने मुख्य संपादक सुरेश पुष्पाकर की प्रशंसा करते हुए कहा कि मैंने अपने लेखन एवं पत्रकारिता के 50 वर्षों में ऐसी पत्रिका नहीं देखी जैसी कवितावली पत्रिका आपके कुशल संपादन में निकल रही है। आपका संपादन न सिर्फ प्रशंसनीय है अपितु कभी भी न भूलने वाला भी है।
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द्वारा –
संतोष गर्ग ‘तोष’, पंचकूला
संयुक्त संपादक, कवितावली
मो- 93565-32838